क्षेत्रीय भाषा (Regional Language) हमारी संस्कृति के साथ-साथ हमारी शिक्षा प्रणाली का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कभी-कभी हमें क्षेत्रीय भाषा सिखाने की आवश्यकता होती है। इस लेख में हम क्षेत्रीय भाषा के बारे में विस्तार से जानेंगे
क्षेत्रीय भाषा क्या है (What is Regional Language)
क्षेत्रीय भाषा (Regional Language) का हिंदी में अर्थ प्रादेशिक भाषा होता है। यह किसी देश या राज्य के एक विशेष क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा होती है। यह देश की आधिकारिक भाषा से अलग हो सकती है, या उसी भाषा का एक स्थानीय रूप हो सकती है।
उदाहरण के लिए, भारत में हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही आधिकारिक भाषाएँ हैं। लेकिन, भारत में कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएँ भी बोली जाती हैं, जैसे कि बंगाली, खोरठा, भोजपुरी, मराठी, तमिल, तेलुगु, आदि। इनमें से कुछ भाषाएँ, जैसे कि बंगाली और मराठी, भारत की कुछ राज्यों में आधिकारिक भाषाएँ भी हैं।
क्षेत्रीय भाषाओं (Regional Language) का किसी देश की संस्कृति और विरासत में महत्वपूर्ण स्थान होता है। वे लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने और अपनी संस्कृति को संरक्षित करने में मदद करती हैं।
Regional Languages in Jharkhand
हम सभी जानते हैं कि झारखंड अपनी संस्कृति के लिए पहचाना जाता है। यहां बड़ी संख्या में जनजातियां हैं, इसलिए झारखंड में विभिन्न क्षेत्रीय भाषाएं हैं, जिनकी सूची आप इस दी गई तालिका के नीचे पा सकते हैं
जिला (District) | क्षेत्रीय भाषाएं &जनजातीय (Regional & Tribe Languages) |
---|---|
रांची (Ranchi) | नागपुरी, खोरठा, मुंडारी, कुरुख, उरांव , उर्दू पंचपरगनिया , कुरमाली |
जमशेदपुर (East Singhbhum) | सांथाली, हो, मुंडारी, बंगाली, उर्दू, कुरुख |
धनबाद (Dhanbad) | खोरठा, बंगाली, सांथाली, कुरमाली, उर्दू |
बोकारो (Bokaro) | कुरुख, खोरठा, मुंडारी, बंगाली,उर्दू, सांथाली |
हजारीबाग (Hazaribagh) | नागपुरी, खोरठा, सांथाली, कुरुख,उर्दू |
देवघर (Deoghar) | बंगाली, सांथाली, खोरठा, अंगिका , उर्दू |
गिरिडीह (Giridih) | सांथाली, उर्दू, खोरठा, कुरमाली |
पलामू (Palamu) | भोजपुरी, कुरुख, उरांव, नागपुरी , उर्दू |
सिमडेगा (Simdega) | मुंडारी, उरांव, खारिया, नागपुरी , उर्दू |
खुंटी (Khunti) | मुंडारी, खारिया, कुरुख, उरांव, उर्दू पंचपरगनिया , कुरमाली |
पाकुड़ (Pakur) | सांथाली, बंगाली, कुरुख, खोरठा ,अंगिका , उर्दू |
चतरा (Chatra) | नागपुरी, खोरठा, उरांव, उर्दू, कुरुख |
लातेहार (Latehar) | कुरुख, उरांव, उर्दू, नागपुरी, |
गढ़वा (Garhwa) | खोरठा, कुरुख, उरांव, उर्दू, मगही , नागपुरी |
साहिबगंज (Sahibganj) | सांथाली, बंगाली, अंगिका , उर्दू |
दुमका (Dumka) | सांथाली, बंगाली, अंगिका, उर्दू, खोरठा |
गोड़ा (Godda) | सांथाली, बंगाली, अंगिका, उर्दू, खोरठा |
सराइकेला-खरसावाँ (Seraikela-Kharsawan) | सांथाली, हो, मुंडारी, बंगाली, उर्दू, कुरमाली |
जामताड़ा (Jamtara) | बंगाली, सांथाली, उरांव, उर्दू, अंगिका , |
रामगढ़ (Ramgarh) | नागपुरी, खोरठा, मुंडारी, उर्दू, सांथाली |
लोहरदगा (Lohardaga) | नागपुरी, कुरुख, उर्दू |
गढ़वा (Gumla) | नागपुरी, कुरुख, मुंडारी, उर्दू, भोजपुरी |
क्षेत्रीय भाषा का महत्व.
यह सीखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. यदि आप किसी राज्य स्तरीय प्रतियोगी परीक्षा के आवेदक हैं तो आपको आम तौर पर क्षेत्रीय भाषा के पेपर का सामना करना पड़ता है।
उदाहरण के लिए यदि आप प्राथमिक अनुभाग में झारखंड सरकारी स्कूल के शिक्षक बनना चाहते हैं तो आपको JTET परीक्षा के साथ-साथ Relevent परीक्षाओं को भी उत्तीर्ण करना होगा।
झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (JTET) एक राज्य स्तरीय परीक्षा है जो प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित की जाती है। परीक्षा में दो पेपर होते हैं, पेपर 1 और पेपर 2। JTET में हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषा शामिल होती है।
इसी तरह झारखंड पुलिस , JSSC CGL, जैसी अन्य परीक्षाओं में भी पाठ्यक्रम में क्षेत्रीय भाषा को शामिल किया जाता है
JSSC Regional Language Syllabus for Exam
क्षेत्रीय भाषा के पेपर में 20 से 30 अंकों के प्रश्न होते हैं।
यह प्रश्नपत्र बहुविकल्पीय प्रकार का होता है।
प्रश्नपत्र में निम्नलिखित विषय शामिल होते हैं:
- व्याकरण: व्याकरण के सभी महत्वपूर्ण नियमों और सिद्धांतों को शामिल किया जाता है। इसमें शब्द-रूप, वाक्य-रचना, उपवाक्य, संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, क्रिया विशेषण, संबंधबोधक, अव्यय, आदि शामिल हैं।
- शब्दकोष: शब्दों के अर्थ और प्रयोग के सिद्धांतों को शामिल किया जाता है। इसमें शब्दों का वर्गीकरण, शब्दों के अर्थ, शब्दों का प्रयोग, आदि शामिल हैं।
- साहित्य के क्षेत्रीय भाषा: झारखंड के क्षेत्रीय भाषा के साहित्य 10वी स्तर का पुस्तक एक सामान्य परिचय दिया जाता है। इसमें झारखंड के प्रसिद्ध लेखकों और उनकी रचनाओं के बारे में जानकारी शामिल होती है।
- व्यबहारिक गतिविधिया : दिन प्रतिदिन उपयोग होने वाले शब्द , पर्व , त्यौहार, सांस्कृतिक कार्यक्रम से सम्बंधित प्रश्न उत्तर होते है
क्षेत्रीय भाषा के फायदे और नुकसान
क्षेत्रीय भाषा ( Regional Language ) का हमारे दैनिक जीवन से सीधा संबंध है, इसलिए यह हमारी शिक्षा प्रणाली सहित हमारे लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन हर अच्छी चीज़ में कुछ अवगुण भी होते हैं, आइए जानते हैं क्षेत्रीय भाषा के गुण और अवगुण के बारे में।
क्षेत्रीय भाषाओं के कुछ लाभ:
- क्षेत्रीय भाषा लोगों को एक-दूसरे से बेहतर ढंग से संवाद करने में मदद करती हैं।
- क्षेत्रीय भाषा लोगों की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने में मदद करती हैं।
- वे लोगों को अपने स्थानीय समुदायों में अधिक शामिल होने में मदद करती हैं।
क्षेत्रीय भाषाओं के कुछ चुनौतियां:
- वे आधिकारिक भाषाओं (Official Language) से अलग हो सकती हैं, जिससे लोगों के बीच संचार में कठिनाई हो सकती है।
- उन्हें अक्सर स्कूलों और सरकार में कम महत्व दिया जाता है।
- वे धीरे-धीरे लुप्त हो रही हैं।
Jharkhand Police Constable Exams Details झारखंड कांस्टेबल प्रतियोगी परीक्षा
क्षेत्रीय भाषाओं को संरक्षित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे किसी देश की संस्कृति और विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
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